गिरना भी अच्छा है - Girna Bhi Acha Hai Poem by Amitabh Bachchan


 “गिरना भी अच्छा है


“गिरना भी अच्छा है,

औकात का पता चलता है…

बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को…


अपनों का पता चलता है!

जिन्हे गुस्सा आता है,

वो लोग सच्चे होते हैं,

मैंने झूठों को अक्सर

मुस्कुराते हुए देखा है…


सीख रहा हूँ मैं भी,

मनुष्यों को पढ़ने का हुनर,

सुना है चेहरे पे…

किताबो से ज्यादा लिखा होता है…!”


अमिताभ बच्चन


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