पुष्प की अभिलाषा - A Poem by Makhanlal Chaturvedi

चाह नहीं मैं सुरबाला के

                  गहनों में गूँथा जाऊँ,

चाह नहीं, प्रेमी-माला में

                  बिंध प्यारी को ललचाऊँ,

चाह नहीं, सम्राटों के शव

                  पर हे हरि, डाला जाऊँ,

चाह नहीं, देवों के सिर पर

                  चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ।

मुझे तोड़ लेना वनमाली!

                  उस पथ पर देना तुम फेंक,

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने

                  जिस पथ जावें वीर अनेक

- माखनलाल चतुर्वेदी


"Pushp Kii Abhilasha" (Wish of a Flower) by Makhanlal Chaturvedi, a renowned 20th century neo-romantic Hindi poet, is inscribed on the gateway of the Kargil War Memorial to greet visitors.

माखनलाल चतुर्वेदी भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं।  उनके काव्य संग्रह 'हिमतरंगिणी' के लिये उन्हें १९५५ में हिन्दी के 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। १९६३ में भारत सरकार ने 'पद्मभूषण' से अलंकृत किया।



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